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10 जुलाई और 24 जुलाई से आरंभ होंगे श्रावण में सोमवार के व्रत - मदन गुप्ता सपाटू,
 

श्रावण मास में पड़ने वाले सोमवार के व्रतों की गणना दो तरीकों से की जाती है। कई क्षेत्रों में श्रावण मास का आरंभ सूर्य संक्रांति से अगले माह की संक्रांति तक लिया जाता है जो इस मास 16 जुलाई को है।

कई स्थानों पर इसकी गणना आषाढ़ी पूर्णिमा से की जाती है जो इस साल 9 जुलाई को पड़ रही है और 10 जुलाई से श्रावण का कृष्ण पक्ष आरंभ हो रहा है। इस प्रकार सावन का पहला सोमवार 10 जुलाई को पड़ रहा है अतः इस दिन से सावन के सोमवारीय व्रतों का शुभारंभ हो जाएगा। निम्न तालिका से आपको व्रत रखने में सुविधा रहेगी।
10 जुलाई - सोमवार- श्रावण मास का प्रथम  सोमवार, प्रथम व्रत
17 जुलाई-  सोमवार- द्वितीय सोमवार व्रत
19 जुलाई-  कामिका एकादशी व्रत
21 जुलाई-  शुक्रवार-  श्रावण शिवरात्रि
24 जुलाई-  सोमवार- तृतीय सोमवार व्रत, पुष्य नक्षत्र
26 जुलाई-  बुधवार-   हरियाली तीज
27 जुलाई-  गुरुवार-  नाग पंचमी
31 जुलाई-   सोमवार- चैथा सोमवार व्रत
7 अगस्त-  सोमवार-  पांचवां सोमवार व्रत, रक्षा बंधन एवं खण्डग्रास चंद्र ग्रहण।
इस साल सावन में 5 सोमवार ही होंगे जो काफी समय बाद यह संयोग बन रहा है।  इस अवधि में प्रमुख त्योहार हरियाली तीज, नाग पंचमी  तथा रक्षाबंधन के अलावा एक खगोलीय घटना चंद्र ग्रहण भी आ रही है।
24 जुलाई को श्रावण का शुक्ल पक्ष आरंभ होगा। इस परंपरानुसार सोमवार के व्रतों की  निम्न तालिका रहेगी।

24 जुलाई-  सोमवार- प्रथम  श्रावण सोमवार व्रत
31 जुलाई-   सोमवार- दूसरा  सोमवार व्रत
7 अगस्त-  सोमवार-  तीसरा सोमवार व्रत 
14 अगस्त-  सोमवार- चैथा सोमवार व्रत ,  श्री कृष्ण जन्माष्टमी , सन्तान सप्तमी 
21 अगस्त-  सोमवार-  पांचवा व अंतिम  सोमवार व्रत , सोमवती अमावस,

श्राावण मास में भगवान शिव की आराधना का विशेष महत्व माना गया है।
भोले नाथ अपने नाम के अनुरुप अत्यंत भोले हैं और सहज ही प्रसन्न हो जाते हैं।शिवोपासना से जीवन की अनेकानेक कठिनाइयां दूर होती हैं। इस मास में  महामृत्युंज्य मंत्र, रुद्राभिषेक,शिव पंचाक्षर स्तोत्र आदि के पाठ से लाभ मिलता है। शिवलिंग पर मात्र बिल्व पत्र चढाने से ही भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त, भांग, धतूरा, जल, कच्चा दूध, दही, बूरा, शहद, दही, गंगा जल, सफेद वस्त्र, आक , कमल गटट्ा, पान , सुपारी, पंचगव्य , पंचमेवा आदि भी चढ़ाए जा सकते हैं।
ओम् नमः शिवाय का जाप या महामृत्यंुज्य का पाठ कर सकते हैं।
शिवलिंग पर चंपा, केतकी, नागकेशर, केवड़ा या मालती के फूल न चढ़ाएं। अन्य कोई भी पुष्प जैसे हार सिंगार,सफेद आक आदि के अर्पित कर सकते हैं। बेल पत्र का चिकना भाग ही शिवलिंग पर रखना चाहिए तथा यह भी ध्यान रखें कि बेल पत्र खंडित न हों।
इस मास के प्रत्येक मंगलवार को श्री  मंगला गौरी का व्रत , विधिवत पूजन  करने से शीघ्र विवाह या वैवाहिक जीवन की समस्याओं  से मुक्ति मिलती है और सौभाग्यादि में वृद्धि  होती है।

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